तीन साल से एमएफपी से निर्मित औषधि उत्पाद के फेल हो रहें सेम्पल
मार्केट में साख गिरी, दो डॉक्टरों को दिया नोटिस
भोपाल । मध्यप्रदेश लघु वनोपज प्रसंस्करण एवं अनुसंधान केन्द्र, बरखेड़ा पठानी, भोपाल में निर्मित उत्पादों के सेम्पल परीक्षण में एमएफपी पार्क की प्रयोगशाला एवं शासकीय आयुष प्रयोगशाला ग्वालियर में लगातार फेल हो रहें हैं। इसके कारण केंद्र की छवि को बट्टा लग रहा है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए संघ के एमडी बिभाष ठाकुर ने दोनों डॉक्टरों डॉ संजय शर्मा और डॉ विजय सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। गंभीर जनक पहलू यह भी है कि दोनों डॉक्टरों की नियुक्ति पर भी हमेशा सवाल उठते रहें हैं। एक नौकरशाह की कृपा बरसने की वजह से डॉ शर्मा लगातार मनमानी कर रहें हैं। उनका नाम रॉ-मटेरियल सप्लायर्स सिंडीकेट से भी जुड़ा है।
लघु क्नोपज संघ के प्रबंध संचालक बिभाष ठाकुर डॉ संजय शर्मा और डॉ विजय सिंह को दिए गए कारण बताओ नोटिस में कहा गया है कि विगत तीन वर्षों में की गई गुणवत्ता परीक्षण रिपोर्ट का विश्लेषण किया गया, जिसमें शासकीय आयुष प्रयोगशाला ग्वालियर द्वारा एमएफपी पार्क में निर्मित उत्पादों के 35 से 40 प्रतिशत तक सेम्पल फैल पाये गये है। नोटिस में डॉ संजय शर्मा को कहा गया है कि आपको औषधीय क्वालिटी कन्ट्रोल हेतु नियुक्त किया गया है। आपके द्वारा अपने कार्यों का संपादन पूर्ण निष्ठा से नहीं किया गया है। जिसके कारण जॉच में काफी मात्रा में सैंपल फैल पाये गये। इससे दवाईयों की गुणवत्ता एवं कार्य प्रभावित हो रहे हैं, जिससे संस्था की छवि खराब हुई है। आपका यह कृत्य आपकी कार्य के प्रति उदासीनता को दर्शाता है। डॉ विजय सिंह को दिए नोटिस का ड्राफ्ट भी कमोवेश डॉ संजय शर्मा जैसा ही है। डॉ सिंह को औषधीय मेनुफेक्चरिंग के लिए ही नियुक्त किया गया है।
*सैंपल
औषधीय सैंपल फैल का विवरण
* वर्ष 2022 में टेस्टिंग हेतु 195 सैंपल प्राप्त हुए जिसमें से 142 अप्रूव्ड किये गये। जबकि 27 प्रतिशत यानि 53 सैंपल फैल किये गये।
* वर्ष 2023 में टेस्टिंग हेतु 92 सैंपल प्राप्त हुए जिसमें से 68 अप्रूव्ड किये गये एवं 26 प्रतिशत यानि 24 फैल हो गये।
* वर्ष 2024 एवं जनवरी-2025 में टेस्टिंग हेतु 129 सैंपल प्राप्त हुए जिसमें से 86 पास हुए और एवं 34 प्रतिशत सैंपल फैल हो गये।
दोनों डॉक्टरों की नियुक्ति अवैध..?
दोनों डॉक्टरों की नियुक्ति अवैध है ये बिना चयन प्रक्रिया के बैक डोर इंट्री से अवैध तरीके से कार्यरत है।इनके ख़िलाफ़ पूर्व में भी कई शिकायतें आई हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई हैं । डॉ विजय सिंह मैनुफ़ैक्ट्रिंग केमिस्ट और डॉ संजय शर्मा क्वालिटी कंट्रोल केमिस्ट को क्वालिटी कंट्रोलर बनाया गया है इन्हें बिना चयन प्रक्रिया के अवैध भर्ती कर नियमित कर्मचारी के समान लाभ दिया जा रहा है।
विवादों में रहें हैं डॉ शर्मा
डॉ शर्मा हमेशा ही विवादों की सुर्खियों में रहें हैं। पूर्व में जब विवेक जैन एमएफपी पार्क सीइओ थे तब डॉ शर्मा से उनकी कार्यशैली को लेकर विवाद हो गया था। जैन ने उन्हें एमएफपी पार्क से हटाने का आदेश जारी कर दिया था पर तत्कालीन प्रमुख सचिव वन के हस्तक्षेप से डॉ शर्मा की एमएफपी पार्क में वापसी हो गई। डॉ शर्मा की पुरानी सेवाएं समाप्त कर नई सेवा के लिए आदेश जारी किया गया। जैन को डॉ शर्मा के खिलाफ एक्शन लेना महंगा पड़ा था और उन्हें सीइओ पद से हटना पड़ा था।
गुड मेन्यूफ़ेचरिंग प्रक्रिया का पालन नहीं
दोनों डॉक्टरों के होते हुये संस्थान में गुड मेन्यूफ़ेचरिंग प्रक्रिया का पालन नहीं किया जा रहा है बिना स्टैण्डर्ड उत्पादन प्रक्रिया के मनमर्जी तरीके से कुछ भी मिक्चर कर काली-पीली तरीक़े से उत्पादन कर दिया जाता है। इसीलिये न तो बीपीसीआर (बैच मैन्युफ़ेचरिंग रिकॉर्ड ) बनाया जाता है न ही दवाई फेल होने पर कोई कार्यवाही होती हैं। पूर्व सीईओ प्रफुल्ल फुलझेले ने तो बीपीसीआर के अनुसार डॉक्टरों को उत्पादन रिकॉर्ड संधारण और जीएमपी के मानकों के पालन हेतु बैठक भी ली थी और पत्र भी लिखा था लेकिन अभी पदस्थ सीईओ गीतांजलि जे को डॉक्टर ही चला रहे है न तो जीएमपी के हिसाब रिकॉर्ड संधारण हो रहा है और न ही समय पर उत्पादन हो रहा है। इस पर 28 मार्च को मीटिंग में एसीएस जेएन कंसोटिया ने भी गंभीर आपत्ति ली और जांच कर संबंधित पर कार्यवाही करने के निर्देश दिये थे।