अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर बुधवार के दिन प्रातः 10:30 पर अभिजीत मुहूर्त में चार धाम यात्रा के दूसरे धाम गंगोत्री धाम के पट खोल दिए गए. अपनी खूबसूरती और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध गंगोत्री धाम के पट खोलना का लगभग 6 महीने से अधिक इंतजार करते हैं भक्त. चार धाम यात्रा शास्त्रों के मुताबिक क्लाकवाइज डायरेक्शन में पश्चिम से पूर्व की ओर की जाती है. इस यात्रा को यमुनोत्री धाम से शुरू करके गंगोत्री फिर केदारनाथ और अंत में बद्रीनाथ धाम के दर्शन करके समाप्त किया जाता है.

गंगोत्री धाम का महत्व : गंगोत्री धाम मां गंगा का उद्गम स्थल है. मां गंगा की पहली धार गंगोत्री से होकर ही गई है. गंगोत्री के पास गौमुख ग्लेशियर से निकलने वाली गंगा नदी को यहां भागीरथी नाम से भी जानते हैं. माना जाता है कि राजा भगीरथ ने यहां पर मां गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए जटिल तपस्या की थी. महाभारत काल में पांडवों ने अपनी परिजनों की मृत्यु का प्रायश्चित और पाप मुक्ति के लिए गंगोत्री धाम में ही देव यज्ञ का आयोजन किया था.गंगोत्री धाम को उत्तराखंड के चारधामों में प्रमुख माना जाता है.यह ऋषिकेश से लगभग 250किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.18वीं शताब्दी में इसका निर्माण गोरखा जनरल अमर सिंह थापा ने किया था.

गंगोत्री धाम में दर्शनीय स्थल : माता गंगोत्री के धाम में पास में ही गोमुख का ग्लेशियर है. यहां से ही गंगा नदी का जल पृथ्वी पर आता है, यह बहुत ही सुंदर और पवित्र स्थान है. इसके अलावा गंगोत्री में विश्वनाथ मंदिर भैरवनाथ मंदिर के दर्शन किए जा सकते हैं. गंगोत्री मंदिर के अलावा यहां गंगनानी नामक गर्म झरना है. जो अपने आप में एक बड़ा धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है.

मां गंगोत्री का भोग : यदि आप चार धाम यात्रा में गंगोत्री धाम जा रहे हैं तो आपको मां गंगा के लिए विशेष भोग का ध्यान रखना चाहिए. इस यात्रा के दौरान आप मां को उनके प्रिय तिल के लड्डू, बर्फी के अलावा गुड का भोग लगा सकते हैं. ऐसा करने से आपको आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलेगा जीवन में सुख शांति और समृद्धि बनी रहेगी. मां गंगा के स्नान और दर्शन मात्र से व्यक्ति की सभी प्रकार के पाप कट जाते हैं.