आजकल फैशन और दिखावे के चलते लोग कान छिदवा लेते हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को यह पता होता है कि शास्त्रों के अनुसार कान छिदवाने का क्या महत्व है और इसका सही तरीका क्या है. सनातन धर्म में कान छिदवाना एक संस्कार है, जिसे ‘कर्ण वेध संस्कार’ कहा जाता है. ये 16 संस्कारों में से एक है. ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री अंशुल त्रिपाठी से जानते हैं कान किन लोगों को छिदवाना चाहिए और इसके क्या लाभ हैं. लाल किताब के अनुसार, केतु को कान और बृहस्पति को सोना माना गया है. इसलिए जब कान छिदवाकर उसमें सोना डाला जाता है, तो बृहस्पति और केतु का मेल होता है. कान छिदवाने के कई लाभ होते हैं.

किन लोगों को यह उपाय करना चाहिए?
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में केतु मंद स्थिति में है, तो कान छिदवाना लाभदायक होता है. क्योंकि यह उपाय बृहस्पति के सहयोग से केतु को मज़बूती प्रदान करता है. अगर आपके जीवन में निम्न समस्याएं बार-बार आ रही हैं तो समझ लीजिए केतु कमजोर है.

रीढ़ की हड्डी या कमर में दर्द

घुटनों या पैरों में तकलीफ

यात्रा करने पर उद्देश्य की पूर्ति न होना

यौन शक्ति मौजूद हो लेकिन स्पर्म काउंट कम होना

पुरानी बीमारियां जैसे ब्लड प्रेशर, शुगर, थायरॉइड

यूरिन, किडनी या संतान से संबंधित समस्याएं

ऐसी स्थिति में आप कान छिदवाने का उपाय कर सकते हैं.

अब बात करते हैं कान छिदवाने के सही तरीकों की जो लाल किताब में बताए गए हैं.

सुनार से कराएं – सुनार भी बृहस्पति से संबंधित माना जाता है.

सोने की ठोस तार का प्रयोग करें – जब आप कान छिदवाते हैं, तो उसमें सोने की ठोस तार डालनी चाहिए.

बहुत से लोग बालियां पहन लेते हैं जिनमें पाइप या खोखली धातु होती है – ये बुद्ध ग्रह से संबंधित मानी जाती हैं. अब अगर आपने बुद्ध, बृहस्पति और केतु – इन तीनों का मेल कान में बना दिया, तो उपाय का मूल उद्देश्य नष्ट हो जाएगा. क्योंकि यहां उद्देश्य केवल केतु को बृहस्पति की मदद देना है, न कि किसी और ग्रह को सक्रिय करना.

कुछ लोग कान में चांदी पहन लेते हैं जो कि बहुत बड़ी गलती होती है. चांदी चंद्र ग्रह से संबंधित होती है, जबकि कान केतु से जुड़े होते हैं. अब अगर आपने चंद्र और केतु को साथ कर दिया, तो ये नकारात्मक प्रभाव डालता है. लाल किताब में चंद्र को दूध और केतु को खटाई कहा गया है – इनका मिलन अशुभ माना गया है.

ऐसी स्थिति में हो सकते हैं ये नकारात्मक प्रभाव

    धन की हानि, ब्याज बढ़ना, संतान से कष्ट, जोड़ों, टांगों या रीढ़ की समस्याएं, माता की सेहत पर बुरा प्रभाव.

आर्टिफिशियल ज्वेलरी न पहनें – अगर राहु, बृहस्पति और केतु तीनों एक साथ सक्रिय हो जाएं, तो उपाय का लाभ नहीं मिलेगा बल्कि नुकसान भी हो सकता है.

किस कान में छिदवाना चाहिए?
लाल किताब के अनुसार, यह उपाय बाएं कान यानी लेफ्ट ईयर में किया जाता है. हालांकि चाहें तो दोनों कान भी छिदवा सकते हैं. इन उपायों का पालन कर आप केतु की कमजोर स्थिति को सुधार सकते हैं और जीवन में कई समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं. संक्रमण से बचाने के लिए हल्दी और नारियल के तेल का मिश्रण कान के छेद पर लगाया जाता है, जब तक कि वह पूरी तरह से ठीक न हो जाए.