उत्तराखंड की पवित्र भूमि बागेश्वर को ‘धर्मनगरी’ यूं ही नहीं कहा जाता. यहां के कण-कण में अध्यात्म और इतिहास की झलक दिखाई देती है. इसी धार्मिक नगरी में स्थित है बैजनाथ मंदिर. यह  एक ऐसा चमत्कारी स्थल है, जिसे लेकर मान्यता है कि इसका निर्माण सिर्फ एक ही रात में हुआ था. यह मंदिर न केवल अपनी खूबसूरत वास्तुकला बल्कि पौराणिक कथाओं के कारण भी श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

मंदिर के पुजारी त्रिलोक गिरी गोस्वामी ने लोकल 18 को बताया कि बैजनाथ मंदिर उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के बैजनाथ कस्बे में गोमती नदी के किनारे स्थित है. यह स्थान प्राचीन काल में ‘कार्तिकेयपुर’ नाम से जाना जाता था, जो कत्यूरी राजाओं की राजधानी थी. इतिहासकारों के अनुसार कत्यूरी वंश ने इस क्षेत्र में 7वीं से 11वीं शताब्दी तक शासन किया और लगभग 1150 ईस्वी में इस मंदिर का निर्माण कराया.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक रात कत्यूरी राजाओं को स्वप्न में भगवान शिव ने दर्शन देकर आदेश दिया कि वे एक रात में एक भव्य मंदिर का निर्माण करें. राजाओं ने स्वप्न को आदेश मानकर रातों-रात इस मंदिर को खड़ा कर दिया. इस मंदिर परिसर में कुल 18 मंदिर समूह हैं, जिनमें मुख्य मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है. मंदिर की वास्तुकला नागर शैली में निर्मित है, जिसमें पत्थर की बारीक नक्काशी और उत्कृष्ट शिल्पकला देखने को मिलती है

मंदिर परिसर में भगवान गणेश, ब्रह्मा, विष्णु, सूर्य और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित हैं. खास बात यह है कि यहां की मूर्तियां काले पत्थर से बनी हैं और इन पर की गई कलाकारी देखते ही बनती है. वर्तमान में यह स्थल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) द्वारा संरक्षित है और धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. हर साल शिवरात्रि और अन्य पर्वों पर यहां भारी संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं.

बैजनाथ मंदिर न केवल एक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह कुमाऊं की प्राचीन संस्कृति, कला और स्थापत्य का जीवंत उदाहरण भी है. यहां की शांति, प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिकता मिलकर इसे एक अद्वितीय तीर्थस्थल बनाते हैं, जिसे देखने के बाद हर कोई इसकी भव्यता में खो जाता है.