पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। अब यहां कि एक आतंकवाद रोधी अदालत (एटीसी) ने खान की नौ मई को भड़की हिंसा के तीन मामलों में अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख खान पर पिछले साल नौ मई को लाहौर कॉर्प्स कमांडर हाउस जिसे जिन्ना हाउस, अस्करी टॉवर और शादमान पुलिस स्टेशन के नाम से जाना जाता है, पर हमलों के लिए उकसाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था। दरअसल, उनके समर्थकों ने पिछले साल मई में कथित भ्रष्टाचार के एक मामले में उनकी गिरफ्तारी के बाद कई महत्वपूर्ण सरकारी इमारतों और सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला किया था। एटीसी लाहौर के न्यायाधीश खालिद अरशद ने खान को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया और तीन मामलों में उनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया। अभियोजन पक्ष ने नौ मई की हिंसा की तुलना 2021 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों द्वारा किए गए हमलों से की। अभियोजन पक्ष ने कहा कि पुलिस को तीनों मामलों की जांच पूरी करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री को हिरासत में लिया जाना जरूरी है। 

200 से अधिक केस दर्ज


बता दें, क्रिकेटर से नेता बने 71 वर्षीय इमरान खान के खिलाफ 200 से अधिक मामले दर्ज हैं और वह पिछले साल अगस्त से रावलपिंडी की अदियाला जेल में हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, न्यायाधीश अरशद ने शाम सात बजे एक आदेश सुनाया, जिसे उन्होंने अभियोजन और याचिकाकर्ता के वकीलों की अंतिम दलीलें सुनने के बाद छह जुलाई को सुरक्षित रख लिया था। खान की कानूनी टीम के अदालत में मौजूद नहीं होने के कारण न्यायाधीश ने फैसला किया कि अदालत एक संक्षिप्त आदेश सुनाएगी। अदालत ने कहा कि विस्तृत फैसला बुधवार को जारी किया जाएगा। जानकारी के अनुसार, जेल में बंद खान भी वीडियो लिंक के जरिए अदालत में उपस्थित नहीं हो सके। दरअसल, इंटरनेट में खराबी होने के कारण खान अदालत से नदारद रहे। साजिश और उकसाने के आरोपों को खारिज करते हुए बैरिस्टर सलमान सफदर ने दलील दी थी कि यह साबित करने के लिए कोई गवाह नहीं है कि खान ने हिंसा भड़काई। साथ ही सवाल किया कि खान नौ मई को हिरासत में लेने और 11 मई को रिहा होने की साजिश कैसे रच सकते थे। उन्होंने कहा कि खान ने भी विरोध-प्रदर्शनों की निंदा की और अपने समर्थकों से हिंसा से दूर रहने का आग्रह किया। विशेष अभियोजक राणा अब्दुल जब्बार ने कहा कि इस्लामाबाद की अदालत के लिए रवाना होने से पहले खान का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जारी किया गया था, जिसमें उसने 'हकीकी आजादी' के लिए लड़ने का दावा किया था।