नई दिल्ली। जैसे-जैसे दिवाली नजदीक आती जाती है, एक खूबसूरत पक्षी उल्लू पर खतरा मंडराने लग जाता है। हर साल इस समय उल्लू की तस्करी उत्तराखंड के जंगलों से बढ़ जाती है। इसे रोकने के लिए वन विभाग ने तिमली रेंज में गश्त बढ़ा दी है और शिकारियों समेत पकड़ने वालों पर सख्त नजर रखे हुए है। 

 

दरअसल दिवाली के अवसर पर पूजा करने और अंधविश्वास के चलते उल्लू की तस्करी में वृद्धि होती है। कुछ लोग मानते हैं कि उल्लू के अंगों का इस्तेमाल तंत्र-मंत्र में किया जाता है, जिससे तस्करों की गतिविधियां तेज हो जाती हैं। उत्तराखंड के तिमली रेंज में उल्लू की तस्करी के लिए तस्करों का सक्रिय रहना एक आम बात हो गई है। यह क्षेत्र कई राज्यों की सीमाओं से लगता है। इस कारण उल्लू पकड़ने वाले और शिकारियों व तस्करों के लिए एक खास ठिकाना बन गया है।

 

कालसी वन प्रभाग के अंतर्गत तिमली रेंज में वन विभाग की कई टीमें रातभर गश्त कर रही हैं। वन क्षेत्राधिकारी मुकेश कुमार ने बताया, कि हम पूरी तरह से सतर्क हैं और शिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। तिमली क्षेत्र में हमारी निगरानी के कारण तस्करी के कई प्रयास नाकाम हुए हैं। इस संबंध में विभाग के अधिकारियों का कहना है कि दिवाली के समय उल्लू की कीमत लाखों में पहुंच जाती है, इस कारण तस्करों की गतिविधियां बढ़ जाती हैं। इस कारण उल्लू की संख्या में भी भारी कमी देखी गई है। वन विभाग ने उल्लू की कम होती संख्या को ध्यान में रखते हुए गश्त बढ़ाने और तस्करों पर कड़ी नजर रखने का फैसला किया है। इसके अलावा, जंगलों में उल्लू की सुरक्षा के लिए भी वन विभाग की टीमें तैयार हैं। तिमली रेंज में उल्लू की तस्करी को रोकने के लिए वन विभाग ने अलर्ट जारी किया है।