घरेलू हॉकी को फिर से जीवंत करेगी हॉकी इंडिया....
देश में कभी नेहरू हॉकी, शास्त्री हॉकी, आगा खान कप, बेटन कप जैसे टूर्नामेंटों की बहार हुआ करती थी। इनमें से कई टूर्नामेंट बंद हो गए हैं और जो चल रहे हैं तो उन्हें कोई पूछने वाला नहीं है, लेकिन हॉकी इंडिया ने एक बार फिर घरेलू हॉकी और इन टूर्नामेंटों को एक बार फिर जीवन देने का बीड़ा उठाया है। हॉकी इंडिया ने फैसला लिया है कि अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों के लिए लगने वाले राष्ट्रीय शिविर की अवधि थोड़ी छोटी कर राष्ट्रीय और सीनियर खिलाडिय़ों को इन घरेलू टूर्नामेंटों में खेलने के लिए उतारा जाएगा। हॉकी इंडिया घरेलू टूर्नामेंटों के ढांचे को भी नए सिरे से तैयार करने जा रही है।
दर्शकों को फिर से घरेलू हॉकी से जोडऩे की योजना
हॉकी इंडिया के अध्यक्ष दिलीप टिर्की ने अमर उजाला को बताया कि घरेलू टूर्नामेंट या तो बंद हो रहे हैं या जो हो रहे हैं उनसे दर्शक नदारद हैं। इसका कारण इन घरेलू टूर्नामेंटों में सीनियर और राष्ट्रीय स्तर के खिलाडिय़ों का नहीं खेलना है। गलती उनकी भी नहीं है। साल के 12 में से 10 माह राष्ट्रीय खिलाड़ी या तो राष्ट्रीय शिविर में तैयारियां कर रहे होते हैं या फिर अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में खेलने में व्यस्त होते हैं। अब उनकी ओर से साई को राष्ट्रीय शिविरों की अवधि को थोड़ा छोटा करने की सिफारिश की जा रही है, जिससे राष्ट्रीय खिलाडिय़ों को इन घरेलू टूर्नामेंटों में उतारा जा सके।
राष्ट्रीय चैंपियनशिप में वरिष्ठ खिलाडिय़ों का खेलना होगा अनिवार्य
टिर्की के मुताबिक घरेलू टूर्नामेंटों में राष्ट्रीय चैंपियनशिप सबसे अहम होगी। इस चैंपियनशिप में अब सभी सीनियर और राष्ट्रीय खिलाडिय़ों का खेलना अनिवार्य होगा। जब सीनियर खिलाड़ी राष्ट्रीय चैंपियनशिप और नेहरू हॉकी जैसे टूर्नामेंटों में खेलेंगे तभी दर्शकों की वापसी स्टेडियम में कराई जा सकती है। एक समय इन टूर्नामेंटों में अपार संख्या दर्शक उमड़ते थे। इसका बड़ा कारण बड़े नामों का इन टूर्नामेंटों में खेलना था। हॉकी इंडिया एक बार फिर से वही कोशिश करने जा रहा है।
फिट होने पर ही सीनियर की जगह टीम में होगी पक्की
टिर्की के मुताबिक घरेलू टूर्नामेंटों के ढांचे का अध्ययन किया जाएगा। इनमें खेलने वाले 300 के करीब सीनियर, राष्ट्रीय खिलाडिय़ों पर नजर रखी जाएगी। टिर्की स्पष्ट करते हैं कि राष्ट्रीय टीम में अब उन्हीं सीनियर खिलाडिय़ों की जगह पक्की होगी जो फिटनेस स्तर पर खरे उतरते हैं। यही नहीं हॉकी इंडिया देश में भर में चल रही हॉकी अकादमियों को भी विकसित करेगी। कोशिश रहेगी कि इन अकादमियां से ही राष्ट्रीय शिविर के लिए 60 से 70 प्रतिशत खिलाड़ी पहुंचें। इन अकादमियों को चिह्नित कर इनमें राष्ट्रीय शिविर सरीखी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।