भगवान शिव को करना है खुश तो इन चीज़ों को न करें नजरअंदाज़
16 जुलाई से इस वर्ष का श्रावन मास आरंभ होने जा रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस मास में भगवान शिव की विशेष आराधना करने का विधान है। तो वहीं इस दौरान शिव शंकर को विभिन्न प्रकार की चीज़ें अर्पित करने की भी परंपरा है। इसके अलावा शिव जी की पूजन में उपयोग होने वाले वस्तुओं के बारे में ज्योतिष शास्त्र में जानने को मिलता है। आज इस आर्टिकल में हम आपको ऐसी ही कुछ जानकारी देने जा रहे हैं। आप में से बहुत से लोगों ने अपने बड़-बुजुर्गों से सुना होगा कि विवाहित महिलाओं को हमेशा साज-श्रृंगार करके रखना चाहिए। तो वहीं खासतौर पर तीज-त्यौहार पर महिलाओं को 16 श्रृंगार करने के लिए कहा जाता है। ऐसा माना जाता है 16 श्रृंगार करने से न केवल महिला की खूबसूरती में चार चांद लगते हैं बल्कि इससे उनका भाग्य भी चमक जाता है। पर क्या आप जानते हैं कि श्रृंगार का श्रावण व भोलेनाथ से भी गहरा संबंध है। अगर नहीं तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि भोलेनाथ से 16 श्रृंगार से क्या संबंध है, आखिर क्यों श्रावण मास में महिलाओं द्वारा श्रृंगार आदि करने मंदिर जाने की पंरपरा है।
दरअसल महिलाओं के लिए जितना ज़रूरी भगवान शिव का आशीर्वाद पाना है। उतना ही ज़रूरी देवी पार्वती की कृपा भी है। अतः इस आर्टकिल में दी गई तमाम जानकारी भगवान शिव के साथ-साथ देवी पार्वती की भी प्राप्त करवा सकती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सावन के माह में देवी पार्वती की महिमा पाने के चढ़ानी चाहिए ये चीज़ें-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किसी भी सुहागिन के श्रृंगार में सिंदूर और बिंदी बहुत मायने रखती है। इनके बिना स्त्री का श्रृंगार अधूरा माना जाता है। इसके साथ ही मांग भरने के लिए जो सिंदूर प्रयोग में लाया जाता है, कई स्त्रियां उसी को बिंदी के रुप में लगाती हैं। कहते हैं श्रावण माह में हर महिला को सुबह नहाने के बाद ये श्रृगांर करना चाहिए, उनके घर में कभी भी सुख-समृद्धि की कमी नहीं होती। जैसे कि हर शादीशुदा महिला को काजल और मेहंदी लगाना अच्छा नहीं लगता, लेकिन बहुत सी महिलाएं ये नहीं जानती कि काजल सिर्फ आंखों की खूबसूरती तो बढ़ाता ही है साथ ही उन्हें बुरी नज़र से भी बचाकर रखता है। वहीं मेहंदी का रंग पति के प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इसलिए शादीशुदा के साथ-साथ कुवांरी लड़कियों का भी सावन में मेहंदी का प्रचलन काफी ज्यादा है।
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मान्यता है कि नववधू को मांग टीका सिर के बीचों-बीच इसलिए पहनाया जाता है ताकि वो शादी के बाद हमेशा अपने जीवन में सही और सीधे रास्ते पर चले। पैरों के अंगूठे और छोटी अंगुली को छोड़कर बीच की तीन अंगुलियों में चांदी का बिछुआ पहना जाता है। साथ में चांदी की पायल भी पैरों में पहनने का रिवाज़ है। पुराने समय में नथ पहनना ज़रूरी माना जाता था लेकिन आज के टाइम में केवल छोटी सी नोज़पिन पहने का रिवाज़ चल पड़ा है, जिसे लौंग कहा जाता है। इसे पहनना एक अच्छा शकुन माना जाता है। इसी तरह जो मैरिड लेडीज़ मंगलसूत्र नहीं पहनती उन्हें सावन में इसे ज़रूर पहनना चाहिए। इसी तरह बाजूबंद और चूड़ियां भी 16 श्रृंगार का बहुत अहम हिस्सा माना जाता है। सावन में कुंवारी और विवाहित दोनों को लाल और हरे रंग की चूड़ियां जरुर पहननी चाहिए। इससे प्रसन्न होकर भगवान उन्हें अच्छा मनचाहा जीवनसाथी मिलने का वरदान देते हैं। तो वहीं सावन में कमरबंद पहनना बहुत शुभ माना जाता है। इसलिए सावन में कमरबंद पहनना चाहिए।