दुनियाभर के वैज्ञानिक चंद्रमा पर पानी की खोज करने में लगे हुए हैं। अब इस बीच वैज्ञानिकों ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि शनि ग्रह के एक चंद्रमा पर पानी होने के संकेत मिले हैं। उनका कहना है कि सौर मंडल के दूसरे सबसे बड़े ग्रह के चंद्रमा पर 32 किलोमीटर मोटी बर्फ की परत है। 

खगोलविदों का कहना है कि शनि ग्रह के इस चंद्रमा का नाम मीमास है जिस पर बर्फीली परत के नीचे एक रहस्यमयी महासागर भी है। मीमास शनि के सबसे नजदीक स्थित एक बड़ा चंद्रमा है जो 395 किमी का है। यह गुरुत्वाकर्षण के कारण सबसे ज्यादा गोल है और सबसे छोटा खगोलीय पिंड है। विशेषज्ञों का कहना है कि तस्वीरों के विश्लेषण से पता चलता है कि मीमास चंद्रमा पर तरल पानी के संकेत नहीं है। आईए जानते हैं वैंज्ञानिकों ने शनि के चंद्रमा के बारे में क्या-क्या बताया है।

 

विशेषज्ञों का कहना है कि कोलोराडो में साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के सिमुलेशन से चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। उनका कहना है कि मीमास चंद्रमा पर मौजूद बर्फ की मोटी परत के नीचे एक महासागर छिपा है। नासा के कैसिनी अंतरिक्ष यान की जांच से साल 2014 में पता चला था कि इस चंद्रमा की सतह में पानी हो सकता है, लेकिन अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।  


एक नई स्टडी में वैज्ञानिकों की टीम ने इस चंद्रमा के आकार और उसकी बनावट से संबंधित विशेषता की पता लगाने की कोशिश की। यह देखा गया है कि इसकी आंतरिक गर्मी से बहते पानी की स्थिति बन पाएगी या नहीं। शनि के छल्लों के सबसे नजदीक इस चंद्रमा को सैटर्न I के नाम से भी जानते हैं। 

मीमास के ऊपर सतह पर पिघलने के कोई भी सबूत नहीं पाए हैं। इस नई स्टडी के चीफ एलिसा रोडेन का कहना है कि मीमास को देखने से पता चलता है कि यह एक छोटी, ठंडी, मृत चट्टान जैसा है। मीमास को बर्फीले चंद्रमाओं के साथ रखकर देखेंगे, तो लगेगा कि इस पर महासागर मौजूद है।